मास्टर प्लान 2041 : सुगम और सुरक्षित सफर की दरकार, दिल्लीवालों का सार्वजनिक परिवहन पर जोर

सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की मजबूती पर दिल्लीवासियों का जोर, परिवहन के सभी माध्यम जोड़ने के साथ लास्ट माइल कनेक्टिविटी भी बने  इसके सहारे सड़कों पर कम लगेगा जाम, जल्द होंगे काम, प्रदूषण की सघन घेरा भी होगा कम

मास्टर प्लान 2041 : सुगम और सुरक्षित सफर की दरकार, दिल्लीवालों का सार्वजनिक परिवहन पर जोर

विस्तार
दिल्ली विकास प्राधिकरण का दिल्लीवासियों को सुरक्षित और सुविधाजनक सफर कराने का खाका तैयार है। इसमें मेट्रो, बस, ऑटो, रिक्शा से लेकर परिवहन के वह सभी छोटे-बड़े माध्यम को शामिल किया गया है, जिसमें आम लोगों का सवारी करनी है। एक-दूसरे से जुड़े होने के साथ डीडीए लास्ट माइल कनेक्टिविटी भी देगा। प्राधिकरण की कोशिश सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव कम करने की है।


डीडी ने बुधवार को मास्टर प्लान-2041 का अपना ड्राफ्ट सार्वजनिक भी कर दिया है। अब  बारी आम दिल्लीवासियों की है। वह अपनी सहूलियत के लिए दिल्ली में परिवहन का किस तरह का ढांचा चाहते हैं, वह कौन सी चीजें होंगी, जिनसे उनकी राह आसान होंगी, इसके लिए अपने सुझाव पेश करने हैं। अगले 45 दिनों में मिलने वाले बेहतरीन सुझावों को डीडीए मास्टर प्लान-2041 में शामिल भी कर सकता है। 


आम लोगों की इसी राय को डीडीए तक पहुंचाने की पहल अमर उजाला ने भी की है। बतौर सीरीज अगले दिनों में आम लोगों के साथ विशेषज्ञों से चर्चा करके डीडीए तक उनकी बात पहुंचाई जाएगी। परिवहन व्यवस्था से जुड़ी पहली सीरीज में दिल्ली के लोगों ने माना कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करना आज की जरूरत है।

इसके तहत न सिर्फ बसों की संख्या बढ़ाई जाए, बल्कि लास्ट माइल कनेक्टिविटी का भी इंतजाम हो। मेट्रो का दायरा भी बढ़ना चाहिए। इसके साथ परिवहन के सभी माध्यम एक-दूसरे से जुड़े होने चाहिए। इससे आम लोगों को सड़कों पर इंतजारी में समय बर्बाद नहीं होगा। इसका असर दिल्ली की आबोहवा पर भी पड़ेगा। निजी वाहनों की संख्या कम होने पर प्रदूषण में कमी आएगी।

जनता बोली- मजबूत हो सार्वजनिक परिहवन का ढांचा
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बसों में निशुल्क यात्रा का मौका मिलना चाहिए। मेट्रो सेवाएं अभी भी कई दिल्ली के कई क्षेत्रों में नहीं पहुंच सकी हैं। अगर गुरुग्राम से द्वारका जाना है तो काफी वक्त लगता है। इसके लिए मेट्रो नेटवर्क को बढ़ाने के साथ साथ आधुनिक सुविधाओं से युक्त बसें की संख्या में भी बढ़ोतरी जरूरी है। कार पूल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि सड़क पर वाहनों को बोझ कम हो सके।
-बीएन झा, स्थानीय निवासी, दिलशाद गार्डन

बसों की संख्या बढ़ने के साथ इनकी फ्रीक्वेंसी भी दुरूस्त करनी पड़ेगी। ऐसा संभव नहीं कि रास्ते में आधे घंटे का समय लगे और आधे घंटे से ज्यादा बस की इंतजारी में। बसों की संख्या कम होने और सड़कों पर जाम की वजह से गंतव्य तक पहुंचने में देरी होती है। कम खर्च में बसों में सफर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए कई बुनियादी बदलाव जरूरी हैं।
-सतीश कुमार, समाज सेवी, पूर्वी दिल्ली

सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या में कमी जरूरी है ताकि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिल सके। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में भी तकनीकी बदलाव से भी गंतव्य तक पहुंचने में देरी नहीं होगी। खुद की कार की बजाय लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाना होगा। इससे सड़कों पर वाहन कम होंगे तो ट्रैफिक जाम भी कमी के साथ साथ प्रदूषण स्तर में भी सुधार होगा।
-नवदीप कुमार, अधिवक्ता

मेट्रो के विस्तार से सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आएगी। इसके साथ ही बसों की संख्या बढ़ाए जाने से लोगों को गंतव्य तक पहुंचना आसान होगा। सार्वजनिक परिवहन के दूसरे साधनों खासकर लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे यात्रियों के लिए सफर आसान होगा तो प्रदूषण में भी कमी आएगी।
अरुण कौशिक, अलीपुर 

निजी वाहनों को कम करने से सड़क पर वाहनों के जाम में कमी आएगी। इसके लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर करना होगा। बसों की संख्या में इजाफा के साथ साथ मेट्रो का विस्तार इसके लिए जरूरी है। मेट्रो स्टेशन, बस स्टॉप से गंतव्य तक पहुंचने के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए रूट बनाए जाने चाहिए ताकि किसी भी क्षेत्र में रहने वालों को दिक्कत न आए।
-गौरव सिंह

रिंग रेलवे को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे न केवल ट्रैफिक का बोझ कम होगा बल्कि दिल्लीवासियों को एक से दूसरी जगह तक पहुंचने के लिए कम खर्च करना होगा। समय की बचत भी होगी। फीडर बसों को भी बढ़ावा मिलना चाहिए ताकि अंतिम छोर तक पहुंचना आसान हो सके।
-मो. शारिक

परिवहन व्यवस्था में सुधार से लोगों की जिंदगी बदलेगी। इसके लिए बसों की संख्या में बढ़ोतरी  साथ साथ ऑटो, टैक्सी, ई रिक्शा सहित तमाम छोटे वाहनों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ई वाहनों से प्रदूषण कम होगा तो सार्वजनिक परिवहन में सुधार से निजी वाहन भी कम होंगे।
-रागिब अमीन

दिल्ली के सभी इलाकों में बस, मेट्रो के पहुंच से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह तक जाने में न तो इंतजार करना होगा। संस्थानों और प्रमुख स्थलों तक पहुंचने के लिए छोटे वाहनों के लिए रूट और समय निर्धारित होना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके।
-दिलबाग, नजफगढ़ 
इन सुधारों से मिलेगी रफ्तार
दिल्ली में सड़कों पर वाहनों का बोझ कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में और सुधार जरूरी है। मेट्रो, रैपिड रेल, बस, टैक्सी, ऑटो, कार और ई रिक्शा के साथ साथ पैदल चलने और साइकिल के लिए भी स्थान जरूरी है। अजमल खां रोड, चांदनी चौक की तर्ज पर दिल्ली में लो एमिशन जोन बनाया जाना चाहिए। इससे काफी सुधार होगा। मल्टी मोडल इंटीग्रेशन के साथ साथ पार्किंग सुविधाओं में विस्तार जरूरी है। 

इससे दिल्लीवासियों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक परिवहन विकल्पों का इस्तेमाल और आसान होगा। कनेक्टिविटी बेहतर करने के साथ साथ जरूरी है कि फुटपाथ और साइकिल ट्रैक में जरूरी बदलाव किए जाएं। सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के इस्तेमाल पर खर्च का बोझ आम लोगों पर कम करने के लिए नॉन फेयर रेवन्यू(टिकट के अलावा दूसरे मदों से कमाई)को बढ़ाना होगा। बेहतर हवा और कार्बन उत्सर्जन में कमी से प्रदूषण में भी कमी आएगी। तमाम परिवहन विकल्पों के एकीकरण से भी बेहतर और त्वरित सेवा उपलब्ध होगी। 

अभी भी मेट्रो और बस दिल्ली के कुछ हिस्सों से नहीं जुड़ सके हैं। विस्तार के साथ साथ सड़कों और तमाम परिवहन विकल्पों की ऑडिट भी जरूरी है ताकि वक्त की मांग के मुताबिक परिवहन सुविधाओं में बदलाव किए जा सकें।
विवेक चटोपाध्याय: सीनियर प्रोग्राम मैनेजर, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट

सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। इसके लिए बसों की फ्रिक्वेंसी में बढ़ोतरी के साथ साथ रिंग रेल को यात्रियों के साथ साथ माल ढुलाई के लिए कई बदलाव जरूरी हैं। बसों की संख्या में बढ़ोतरी और मेट्रो नेटवर्क की पहुंच बढ़ने के साथ साथ जरूरी है कि तमाम परिवहन विकल्पों में वक्त के मुताबिक बदलाव किए जा सकें। तकनीक के जरिये सफर आसान और त्वरित होगा तो इससे सड़क सुरक्षा पर भी पूरी निगरानी संभव होगी।
प्रो. गीतम तिवारी-आईआईटी, दिल्ली

मौजूदा हालात को देखते हुए दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन में सुधार जरूरी है। इसके लिए अलग एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए ताकि सड़कों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति न बन सके। मेट्रो की तुलना में इसे 10 फीसदी खर्च पर अमली जामा पहनाया जा सकता है। मेट्रो, रेलवे स्टेशन या बस अड्डे से गंतव्य तक पहुंचने के लिए जरूरी है कि नए सिरे से पूरी दिल्ली के अलग अलग हिस्से के लिए मार्ग नियत किए जाएं। इससे लेकिन सहूलियतें बढ़ेंगी और कम खर्च में लोगों को अधिक दूरी तक पहुंचना संभव होगा।
पवन गुप्ता: विशेषज्ञ, इंस्टीट्यूनल सिस्टम्स प्लानिंग सेंटर

मौजूदा परिवहन नेटवर्क 
दिल्ली में फिलहाल करीब 6000 बसें हैं। 
डीटीसी बसों में औसतन 30 लाख के करीब यात्री सफर करते हैं जबकि फ्रिक्वेंसी कम होने की वजह से इंतजार करना पड़ता है।
ऑटो, टैक्सी, ई रिक्शा और फीडर बसें और ग्रामीण सेवा के जरिये दिल्ली वासियों को लास्ट माइल कनेक्टिविटी मुहैया की जा रही है। इसके लिए तयशुदा रूट और समय नियत है। 
दिल्ली एनसीआर के शहरों में 10 लाइनों पर मेट्रो की सेवाएं उपलब्ध हैं। रोजाना औसतन 55 लाख से अधिक यात्री सफर कर रहे थे।
मेट्रो के विस्तार के लिए फेज-4 पर काम जारी है। 
मल्टी मोडल इंटीग्रेशन के लिहाज से आईएसबीटी पर एकीकृत परिवहन सेवाएं मुहैया करने के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। रेलवे स्टेशन पर स्काई वाक भी तैयार किया जा रहा है। 
कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की शुरुआत की गई है। सड़कों पर सुरिक्षत सफर के लिए अभी भी तकनीकी बदलाव किए जाने हैं। 
सड़कों पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए सड़कों के डिजाइन और ट्रैफिक में भी बदलाव की जरूरत है।