रिम्स में नहीं हो रहा मां का ठीक से इलाज, धरने पर बैठे बेटा-बेटी ने मांगी इच्छा मृत्यु, सरकार से की ये मांग

रिम्स में नहीं हो रहा मां का ठीक से इलाज, धरने पर बैठे बेटा-बेटी ने मांगी इच्छा मृत्यु, सरकार से की ये मांग

झारखंड में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया जा चुका है। इसके तहत सरकार को राज्य में पाए जाने वाले ब्लैक फंगस के मरीजों का समुचित इलाज कराना है। लेकिन, राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इलाजरत ब्लैक फंगस से पीड़ित ऊषा देवी के बच्चे समुचित इलाज नहीं होने के कारण परेशान हैं और अब अपनी मां के लिए इच्छा मृत्यु मांग रहे हैं।

गुरुवार को बेटा गौरव और बेटी पूजा रिम्स इमरजेंसी गेट के पास धरना पर बैठ अपनी मां के लिए बेहतर इलाज या फिर उनके लिए इच्छामृत्यु देने की मांग करते दिखे। बेटी पूजा का कहना है कि उनकी मां का इलाज अब सरकार कराए। उनके पास अब पैसे नहीं हैं कि मां का इलाज करा सके। 

बता दें कि गिरीडीह के पचंबा की रहने वाली ऊषा देवी रिम्स में 48 दिनों से ब्लैक फंगस का इलाज करा रही हैं। ऊषा देवी को रिम्स में 17 मई को भर्ती कराया गया था। बेटे गौरव ने बताया कि डॉक्टरों का कहना है कि अब इंफेक्शन ब्रेन और फेफड़े तक फैल चुका है। एक आंख पहले ही संक्रमण से पूरी तरह खराब हो चुकी है और दूसरी आंख भी अब लगभग प्रभावित हो चुकी है। 

बच्चों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप
ऊषा देवी के बेटे-बेटी ने इलाज में डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब स्थिति ठीक थी, उस वक्त डॉक्टरों ने पूरी तरह लापरवाही बरती। अब डॉक्टर कह रहे हैं कि संक्रमण ब्रेन तक पहुंच चुका है, इसके लिए अब केरल या अहमदाबाद ही जाना होगा। 

रिम्स में इलाज नहीं हो पाएगा। बेटे ने बताया कि हमने अपनी मां को 17 मई को ही रिम्स में भर्ती कराया था पर, इलाज 19 मई को चालू हुआ। 48 घंटे शुरुआत में ही देर हो गयी थी। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने दो बार ऑपरेशन की योजना भी बनाई थी, लेकिन टाल दिया गया।

डॉक्टर ने इसका कारण बताया कि बीपी और शुगर बहुत बढ़ा हुआ है, ऐसे में ऑपरेशन नहीं हो सकता। ऊषा के बच्चों ने कहा कि अब सरकारी मदद से ही मेरी मां की जान बच सकती है। यदि सरकार नहीं करती है, तो उन्हें इच्छा मृत्यु दें। क्योंकि हम उन्हें तड़पते नहीं देख पा रहे हैं।

इलाज पर दो लाख रुपए हो चुके हैं खर्च
बेटे गौरव के अनुसा, अबतक के इलाज पर में दो लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। सभी दवाएं बाहर से लानी पड़ रही है। पासाकोनाजोल टैबलेट जिसकी कीमत पहले पांच हजार थी, अब 6 हजार हो गयी है। अबतक 46 हजार की खरीद चुके हैं। अब अपनी मां का इलाज करा पाने में असमर्थ है। ऊषा देवी को दो बेटे और एक बेटी है। पति की पहले ही मौत हो चुकी है। दोनों बेटा दुकान में काम कर मां का इलाज करा रहे हैं।

रिम्स के पीआरओ डॉ डीके सिन्हा ने कहा, 'अब तक रिम्स प्रबंधन के पास इलाज में लापरवाही संबंधी कोई भी शिकायत नहीं मिली है, जो भी धरने पर बैठे हैं, उन्हें रिम्स के सुपरिटेंडेंट और डायरेक्टर से मिलना चाहिए।'