राहत: अस्‍पतालों में कम होने लगे मिस-सी के मरीज, कोरोना की तीसरी लहर से पहले बच्‍चों पर मंडरा रहा था खतरा

राहत: अस्‍पतालों में कम होने लगे मिस-सी के मरीज, कोरोना की तीसरी लहर से पहले बच्‍चों पर मंडरा रहा था खतरा

कोरोना की तीसरी लहर से पहले बच्चों पर मिस-सी (मल्टीसिस्टम इंफ्लामेट्री सिंड्रोम) का खतरा मंडराने लगा था, जो अब कम हो गया है। अस्पतालों से भी मिस-सी के मरीज कम हो गए हैं। बालपन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में अब मिस-सी का एक भी मरीज भर्ती नहीं है। कुछ दिन पहले तक इस अस्पताल में करीब 22 मरीज भर्ती थे। वहीं, रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में अब सिर्फ आठ मरीज भर्ती हैं। जबकि यहां 35 से 40 मिस-सी से प्रभावित बच्चे भर्ती थे।

रानी चिल्ड्रेन के डॉक्टर राजेश कुमार ने बताया कि मिस-सी कोरोना से ठीक होने के दो से छह सप्ताह के बीच होता है। कोरोना के मरीज मई में मिलने कम हो गये थे। उसके छह सप्ताह हो गए हैं, इसलिए मिस सी के मरीज भी कम हो गये हैं। उन्होंने बताया कि अब यह खतरा बहुत कम हो गया है।

रिम्स में सिर्फ एक प्रभावित बच्चा भर्ती है

रिम्स में मिस सी का अबतक सिर्फ एक बच्चा भर्ती किया गया है। वह बच्चा अब भी रिम्स के नियोनेटल वार्ड में भर्ती है। डॉ मिनी ने बताया कि अब तक रिम्स में सिर्फ एक बच्चा मिस सी से प्रभावित होकर यहां पहुंचा है। बता दें कि रांची में बच्चों के 2 बड़े अस्पताल रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल और बालपन में ही अधिक मरीज पहुंच रहे थे। इन दोनों अस्पतालों में प्रतिदिन ओपीडी में मिस सी से प्रभावित 20 से 25 बच्चे आ रहे थे।

हार्ट और किडनी को करता है प्रभावित

मल्टीसिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम कोविड से ठीक हुए बच्चों को प्रभावित कर रहा था। इसके प्रभाव में आने से बच्चों की किडनी, हार्ट और लिवर प्रभावित होती है। डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी के लक्षण है, पेट दर्द होना, उल्टी होना, आंख लाल होना और चमड़े में बदलाव दिखाई देना आदि। तीन दिनों से अधिक बुखार, पेट दर्द और उल्टी होने पर डॉक्टर से सलाह लें।