Dilip Kumar: बीमार मित्र से मिलने रांची आए थे दिलीप कुमार, झारखंड की खूबसूरती के हो गए थे मुरीद

Dilip Kumar News Dilip Kumar Died Jharkhand News मुंबई के डाक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि रांची के इटकी में बेहतर इलाज हो सकता है। डाक्टरों की सलाह पर वे रांची आ गए और इटकी अस्पताल में भर्ती हुए।

Dilip Kumar: बीमार मित्र से मिलने रांची आए थे दिलीप कुमार, झारखंड की खूबसूरती के हो गए थे मुरीद

एक लंबी, भरी-पूरी आयु जीकर 'अभिनय के स्कूल' यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार विदा हो गए। 98 वर्ष की आयु कम नहीं होती। वे बार-बार बीमार होकर जब भी अस्पताल जाते, इंटरनेट मीडिया पर उनके इंतकाल की खबर वायरल हो जाती और फिर यह झूठ साबित होता, लेकिन इस बार वह इस फानी दुनिया को सचमुच अलविदा कह गए। दिलीप कुमार को झारखंड से कोई गहरा लगाव नहीं था, लेकिन वे जब भी यहां आए, यहां की प्रकृति के मुरीद हो गए। संभवत: रांची में पहली बार उनका आगमन 1957 के बाद हुआ।

उनके मित्र और फिल्म निर्माता अवतार कृष्ण अग्रवाल को टीबी हो गया था। मुंबई के डाॅक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि रांची के इटकी में बेहतर इलाज हो सकता है। डाॅक्टरों की सलाह पर वे रांची आ गए और इटकी अस्पताल में भर्ती हुए। वे यहां एक माह के करीब रहे। अग्रवाल के गहरे दोस्त थे दिलीप कुमार। वे ही उन्हें देखने यहां रांची आए थे। एयरपोर्ट से वे सीधे टीबी सेनिटोरियम गए और फिर उसी दिन देखने के बाद लौट गए

अग्रवाल जी भी बाद में ठीक हो गए। एक लंबे समय बाद उन्होंने 'नाच उठे संसार' फिल्म बनाई। उस समय रांची के चर्चित कवि थे रामकृष्ण 'उन्मन'। उन्मनजी के पुत्र नवेंदु उन्मेष लिखते हैं कि इस फिल्म के लिए गीत लिखाने का आश्वासन उन्होंने मेरे पिता कविवर रामकृष्ण उन्मन को दिया। लेकिन मुंबई वापस लौटने के बाद वे उन्मन जी को भूल गए। पिता जी ने इस संबंध में उनसे कई बार पत्राचार किया लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया।

साला मैं तो साहेब बन गया....

आपको दिलीप कुमार का वह गीत 'साला मैं तो साहेब बन गया, साहेब बन गया...' बखूबी याद होगा। किशोर कुमार ने इसे अपनी आवाज दी थी। दिलीप ने पर्दे पर गाया था, लेकिन इसके निर्माता रांची, लालपुर के हेमेंद्र गांगुली उर्फ हेमेन गांगुली थे। यह बांग्ला और हिंदी दोनों में बनी थी। फिल्म का नाम हिंदी में सगीना और बांग्‍ला में था 'सगीना महतो'। फिल्म का प्रदर्शन 1974 में हुआ था।

जब शूटिंग छोड़ डालटनगंज पहुंचे

दिलीप कुमार पलामू के सौंदर्य पर मुग्ध हो गए थे। उन्होंने कहा था कि यहां की धरती और लोग 'इंद्रधनुष' (कौस ए कुजह) की तरह खूबसूरत हैं। जय जवान संघ के सचिव संजीव नयन बताते हैं, जिस दिन दिलीप कुमार को डालटनगंज आना था, उस दिन गुवाहाटी में किसी फिल्म की शूटिंग चल रही थी। वे शूटिंग में व्यस्त थे और वहीं से उन्होंने सूचना भेजवाई कि‍ वह कार्यक्रम में आने में असमर्थ हैं।

इस पर भुन्नू बाबू ने उनसे किसी तरह संपर्क कर कहा कि शो के सारे टिकट बिक चुके हैं। बाहर से लोग शहर में आ गए हैं। आप नहीं आए तो मैं तो बर्बाद ही हो जाऊंगा। डालटनगंज भी बर्बाद हो जाएगा। लॉ एंड ऑर्डर की समस्या खड़ी हो जाएगी। फिर क्या था, दिलीप कुमार, बोले मैं आ रहा हूं और शाम में उनका चार्टेड प्लेन चियांकी हवाई अड्डे पर उतर चुका था।'

सूखा पीड़‍ितों के लिए हुआ था कार्यक्रम

दिलीप कुमार नाइट का आयोजन डालटगंज में चार मार्च 1984 को हुआ था। इसका आयोजन जयजवान संघ ने सूखा पीड़‍ितों के सहायतार्थ किया था। उन दिनों पलामू सूखे से प्रभावित था। इस संस्था के अध्यक्ष थे भुवनेश्वर प्रसाद उर्फ भुन्नू बाबू। इनके आमंत्रण पर दिलीप कुमार डालटनगंज आए थे। कार्यक्रम में मौजूद डालटनगंज निवासी प्रो. सुभाष चंद्र मिश्रा बताते हैं, 'यूं तो दिलीप कुमार ट्रैजिडी किंग के नाम से जाने जाते थे पर उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी गजब का था।'

प्रो. मिश्रा यादों को ताजा करते हुए कहते हैं, जब दिलीप कुमार कहते हैं, 'मेरे साथ मेरी पत्नी सायरा बानो भी आई है। हमारे बीच समझौता है कि घर में ये बोलती हैं और बाहर मैं। प्रत्येक शरीफ आदमी की स्थिति यही है, पति बाहर बोलता है और घर में पत्नी।' साथ में आए कल्याण जी-आनंद जी की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं, 'क्या भाई कल्याण जी, आपके साथ भी ऐसा है पर आनंद जी के बारे में मुझे पता नहीं है।' दिलीप कुमार की बात सुनते ही वहां मौजूद सारे दर्शक ठहाका लगाने लगे।

प्रो मिश्रा आगे बताते हैं कि जब अभिनय को लेकर उनसे सवाल किया गया तो बोले, 'मुझे फिल्म में मां के निधन का रोल करना था। जो हीरोइन मेरे मां का रोल कर रही थीं, वह सेट पर मेरे संग चाय पी रही थीं। ऐसे में उनके बारे में अभिनय करना मुश्किल था। तब मैंने अपने मन में विचार किया कि जब मेरी मां का निधन हुआ था तो मेरी स्थिति क्या थी। यह बात ध्यान में आते ही मां के मरने के बाद का भाव मेरे चेहरे पर आ गया।'

इतनी भीड़ मैंने कहीं नहीं देखी...

संजीव नयन बताते हैं कि उस कार्यक्रम में दिलीप कुमार, सायरा बानो के अलावा कल्याणजी आनंदजी, अलका याज्ञनिक, सुरेश वाडेकर, अनवर, जाॅनी वाकर, जाॅनी लीवर सरीखे कलाकार आए थे। दिलीप कुमार चिंयकी मैदान में आयोजित कार्यक्रम की भीड़ देखकर काफी उत्साहित हुए। बोले, इतना सुनने वाले, इतना देखने वालों की भीड़ मैंने नहीं देखी। आप सब के बीच आज यहां आया हूं तो इसका श्रेय भुन्नू बाबू को जाता है। कार्यक्रम अनवर के गीत से आरंभ हुआ...बड़ी दूर से आए हैं, प्यार का तोहफा लाए हैं।